लखनऊ मेट्रो की ये खूबसूरत तस्वीरें जिन्हें देख आप उस पर लट्टू हुए बिना नहीं रहेंगे
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कानपुर। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मेट्रो का सफर बेहद सुहाना लगता है। यहां दूसरे शहराें से आने वाले लोग इसमें एक बार सफर की चाहत रखते हैं। रंग-बिरंगी मेट्रो देखने में काफी खूबसूरत लगती
यहां ऊंचे-ऊंचे पुलों पर दाैड़ती रंग-बिरंगी मेट्रो देखने में काफी खूबसूरत लगती है । ये मेट्रो देखने में जितनी खूबसूरत लगती है उतनी ही इसकी खासियतें भी हैं। खासियतों भरी हैं लखनऊ मेट्रो हाल
ही में लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने ट्रांसपोर्टनगर से चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट स्टेशन तक सिग्नलिंग और इंट्रीग्रेटड टेस्टिंग ट्रायल किया। इसकी लंबाई करीब 2.8 किमी है। एयरपोर्ट स्टेशन तक 20
मिनट में पहुंची लखनऊ मेट्रो को इस ट्रायल के दाैरान चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट स्टेशन तक पहुंचने करीब 20 मिनट लगे। लखनऊ मेट्रो ने एक बड़ी सफलता पाई लखनऊ मेट्रो ने एयरपोर्ट और मुंशीपुलिया के
बीच 22.878 लंबे नार्थ-साउथ कॉरिडोर (फेज 1-ए) के परिचलान में एक और बड़ी सफलता पाई है। रोलिंग स्टॉक्स सीबीटीसी और एटीपी से लैस लखनऊ मेट्रो के रोलिंग स्टॉक्स ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी)
और ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) सिस्टम्स से लैस है। सुरक्षा के काफी हाईटेक इंतजाम है मेट्रो में अधिकारियों की मानें तो सुरक्षा के काफी हाईटेक इंतजाम हैं। एटीपी के तहत ऑटोमैटिक ब्रेकिंग
प्रणाली से यह कोशिश होती है कि ट्रेने टकराने न पाएं। ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन सिस्टम से नजर वहीं ऑटोमैटिक ट्रेन सुपरविजन सिस्टम की मदद से ट्रेनों की आवाजाही पर नजर हाेती है। रिजिट ओवरहेड
उपकरण लगाए गए एलएमआरसी के भूमिगत और टनल सेक्शन्स में ट्रेनों के परिचालन के लिए करंट की सप्लाई के लिए रिजिट ओवरहेड उपकरण लगाए गए हैं। पहली बार रिजिट ओएचई का प्रयोग हुआ डायमंड क्रासिंग पर इस
अत्याधुनिक रिजिट ओएचई का प्रयोग लखनऊ मेट्रो में पहली बार सीसीएस एयरपोर्ट स्टेशन के करीब हुआ है। यह सिस्टम चुनिंदा मेट्रो परियोजनाओं में रिजिट ओवरहेड उपकरण से ट्रेन एक लाइन से दूसरी लाइन पर
जा सकती है। यह सिस्टम दुनिया में चुनिंदा मेट्रो परियोजनाओं में ही उपलब्ध है।