मूड ऑफ तो फौरन लाइट्स करिए ऑन


मूड ऑफ तो फौरन लाइट्स करिए ऑन

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क्या आप इन दिनों काफी डिप्रेस्ड फील करते हैं? क्या आपका मूड में ज्यादा फ्लक्चुएशन होता है? दिमाग में निगेटिव थिकिंग बढ़ती जा रही है? यदि ये लक्षण हैं तो सतर्क हो जाइये। हमारी ये रिपोर्ट जरूर


पढि़ये।


- डिप्रेशन के पेशेंट्स और स्पेशली लेडीज पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत


- ज्यादा डिप्रेशन और निगेटिव थिंकिंग हो तो कमरे में करें ज्यादा रोशनी


VARANASI : क्या आप यकीन करेंगे कि इन दिनों जो मौसम चल रहा है, वो किसी का दिमाग बुरी तरह खराब कर सकता है! इस कदर खराब कि इंसान खुद को नुकसान भी पहुंचा दे। जी हां, लगातार कुंहासे और बादलों के


चलते धूप के दर्शन नहीं हो रहे। दोपहर में भी शाम के धुंधलके का एहसास हो रहा है। ऐसे में मूड डिसऑर्डर का खतरा बना हुआ है।


इस मौसम में डिप्रेशन पेशेंट्स सबसे ज्यादा परेशानी में होते हैं। छोटे दिन और इसमें भी धूप की कमी, कई कई दिन धूप के दर्शन न होना, ज्यादा वक्त रोशनी की कमी उनके मूड पर गहरा इफेक्ट डालती है।


साइकोलॉजिस्ट्स की माने तो मूड डिसऑर्डर के इस तरह के मामले उन कंट्रीज में ज्यादा देखने को मिलती है जहां साल के अधिकांश महीने सर्दियां होती है। बर्फ भी खूब पड़ती है। इस प्रॉब्लम को 'विंटर


ब्लूज सिंड्रोम' के नाम से भी जाना जाता है। लेडीज इस समस्या से ज्यादा पीडि़त होती है क्योंकि उनका ज्यादा वक्त घर में गुजरता है और कम रोशनी में रहने की वजह से उनके मूड पर निगेटिव इफेक्ट काफी


बढ़ जाता है।


साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि मूड डिसऑ‌र्ड्रर का एटमॉस्फीयर से काफी गहरा नाता होता है। जब रोशनी कम हो, कई दिनों तक अच्छी धूप ना दिखे तो विंटर ब्लूज सिंड्रोम डिप्रेशन वालों को और ज्यादा


डिप्रेस्ड कर देती है। साइकोलॉजिस्ट्स की माने तो कुछ लोगों में डिप्रेशन लेवल सुसाइड टेंडेंसी तक पहुंच जाता है। ऐसे लोग खुद को नुकसान पहुंचाने की हद तक पहुंच जाते हैं।


मूड डिसऑर्डर के केसेज में मेडिसीन से ज्यादा अच्छा ट्रीटमेंट लाइट यानि रोशनी को माना जाता है। जिस देशों में ठंड आठ से क्0 महीने तक तक होती है, वहां इसी वजह से कमरों में तेज रोशनी रखी जाती है।


यदि आप भी मूड डिसऑर्डर फील कर रहे हो तो कमरे में तेज रोशनी का इंतजाम रखें। इसमें यदि पीली रोशनी शामिल हो तो ज्यादा बेहतर होता है। इसके लिए बल्ब का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये कुछ हद तक धूप


की फीलिंग देता है। धूप निकलने पर ज्यादा से ज्यादा वक्त धूप में बीताना और अच्छा माना जाता है।


ठंड और कोहरे के सीजन में विंटर ब्लूज सिंड्रोम एक कॉमन प्रॉब्लम है जिससे लोग प्रभावित होते हैं। इसका सीधा संबंध मूड से होता है। बेहतर होगा कि मूड ऑफ और डिप्रेशन महसूस करने वाले तेज रोशनी में


ज्यादा वक्त स्पेंड करें। इससे काफी राहत मिलेगी।


विंटर सीजन में डिप्रेशन लेवल बढ़ना बहुत कॉमन है। इस सीजन में उन लोगों का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है जो डिप्रेशन के पेशेंट हैं। उनका अच्छी तरह से ध्यान रखना ही ज्यादा बेहतर होगा। यदि


प्रॉब्लम ज्यादा हो तो चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।


ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ : सोमवार को सीजन का सबसे ठंडा दिन बीतने के बाद मंगलवार को गलन में थोड़ी कमी महसूस की गयी और दिन के मैक्सिमम टेम्प्रेचर में भी सुधार आया है। मौसम विभाग की माने तो एक-दो


दिन में कुछ और राहत मिल सकती है। मंगलवार को मैक्सिमम टेम्प्रेचर क्भ्.8 डिग्री रिकॉर्ड हुआ जो सोमवार की तुलना में तीन डिग्री ज्यादा था। मिनिमम टेम्प्रेचर भी करीब दो डिग्री बढ़कर मंगलवार को


7.ख् डिग्री दर्ज किया गया।