बिजली सप्लाई में हुआ करोड़ो का खेल! पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने पांच सालों में लगाया 30,250 करोड़ रुपए का चूना
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महाराष्ट्र में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। दरअसल महाराष्ट्र में बिजली सप्लाई करने वाली ईकाई ‘महावितरण’ पर आरोप है कि उसने उपभोक्ताओं को 22,000 करोड़ और सरकार को 8,250 करोड़ रुपए का चूना
लगाया है। महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (MERC) की जांच में इस घोटाले का खुलासा हुआ है।
MERC ने मामले की जांच के लिए एक जांच कमेटी का गठन किया था। इस जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ‘महावितरण’ ने कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और बीते पांच
सालों में सरकार और उपभोक्ताओं से कुल 30,250 करोड़ रुपए ज्यादा वसूले।
खबर के अनुसार, यह घोटाला साल 2014 से लेकर 2019 के बीच किया गया। जांच में पता चला है कि महावितरण ने दावा किया था कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में उसने कृषि क्षेत्र को 33,856 मिलियन यूनिट बिजली
सप्लाई की। हालांकि MERC द्वारा जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि असल में 22,856 मिलियन यूनिट ही बिजली की सप्लाई की गई।
महावितरण ने इसी तरह साल 2014 से लेकर पांच साल तक बिजली की खपत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। बता दें कि महावितरण एक क्रॉस सब्सिडी मैकेनिज्म पर काम करती है, जो गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को कम
टैरिफ पर बिजली सप्लाई करती है।
मुंबई मिरर की एक खबर के अनुसार, महावितरण 4 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं को 6 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेचती है। इंडस्ट्रियल और कमर्शियल सेक्टर को यही बिजली और तीन रुपए
महंगी दी जाती है। कृषि क्षेत्र से जुड़े उपभोक्ताओं को 1.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महावितरण ईकाई ने 2014-19 के बीच सालाना 4400 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बिजली खरीदी। आरोप है कि अतिरिक्त खरीद और वितरण घाटे को छिपाने के चलते उपभोक्ताओं को करीब 22,000
करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ा। वहीं सरकार को इस दौरान 8250 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।