नृत्या- कथक में पार्वती के सौंदर्य की प्रस्तुति
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पिछले दिनों गांधर्व महाविद्यालय में दो दिवसीय नृत्य समारोह का आयोजन किया गया।इस आयोजन की दूसरी शाम कथक नृत्यांगना मालती श्याम ने अपने नृत्य से सजाया। उन्होंने परंपरागत कथक को विशेष रूप से
पेश किया।मालती ने अपने नृत्य का आरंभ शिव स्तुति से किया। यह वंदना ध्रुपद ‘पूजन चली महादेव’ पर आधारित थी। इस प्रस्तुति में पार्वती के सौंदर्य का वर्णन नृत्यांगना ने हस्तकों, मुद्राओं और
भंगिमाओं से किया। नृत्य के क्रम में पार्वती की नजरों के अंदाज और सोलह शृंगार को विशेष रूप से दर्शाया गया। इसके बाद तीन ताल में शुद्ध नृत्य पेश किया गया। इसमें नृत्यांगना ने खड़े पैर और पंजे
के काम को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया। वहीं आंखों के संचालन, मुख के भाव, ग्रीवा की गतियों के साथ-साथ कसक-मसक व डोरा का प्रयोग मोहक था। उन्होंने थाट में नायक का इंतजार करती नायिका के अंदाज
को खूबसूरत तरीके से दर्शाया। नृत्यांगना ने प्रस्तुति के दौरान उठान पेश किया। इसमें उछाल और चक्करों का प्रयोग मोहक था। उठान ‘ता-थेई-दिग-त-त-थेई’ की प्रस्तुति के क्रम में अंगों को बरतने के
साथ पैर का काम आकर्षक था। उन्होंने एक रचना में बूंदों के बरसने का अंदाज पेश किया। उन्होंने ‘ता-थुंग-दिग-दिग-थेई’ व ‘ता-ता-ता-दिग-दिग’ के बोलों से सजे आमद में पैर के काम के साथ पलटों और चक्कर
का अच्छा प्रयोग किया। वहीं, उन्होंने तिहाइयों में ‘धा-तुन्ना’ और ‘तक-थुंग’ को पेश करते हुए, पैर का आड़ा-तिरछा प्रयोग कर अपनी अलग छाप छोड़ी। नृत्यांगना ने अपने नृत्य में एक तिहाई को भी शामिल
किया। साढ़े सात मात्रा की तिहाई में कामदेव के बाण के अंदाज को हस्तकों और पैर के काम के जरिए दर्शाया गया। एक अन्य तिहाई में देवी पार्वती और शिव के शृंगार को दर्शाया गया। उन्होंने गतों में
घूंघट, रूखसार व फूल की गत को शामिल किया वहीं परण में अठारह चक्कर का प्रयोग किया। उन्होंने ठुमरी ‘अब न बोलो मोसे श्याम’ में नायिका के भाव को दर्शाया। इस प्रस्तुति में लखनऊ घराने की नजाकत और
बानगी देखने को मिली। इस आयोजन में अजराड़ा घराने के उस्ताद अकरम खां ने उनके साथ संगत किया। अन्य संगत कलाकारों में शामिल थे-नासिर खां, फतह अली खां, हरीशचंद्र पति और सोहेब।