चूक या सेटिंग? 1 करोड़ के ब्राउन शुगर की जब्ती का समय भूली पुलिस, तस्करों को कोर्ट में मिलेगा लाभ
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एसएसपी ने सिटी एसपी विश्वजीत दयाल को यह जांच करने का निर्देश दिया है कि किन परिस्थितियों में एसओपी का पालन नहीं हुआ। इन गलतियों का लाभ आरोपित तस्कर को मिल सकता है। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित
काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र में बीते 14 मई को एक करोड़ रुपए मूल्य के ब्राउन शुगर की बरामदगी के मामले में पुलिस ने जब्ती, गिरफ्तारी और एफआईआर दर्ज करने में कई स्तर पर गलतियां की हैं। थाने की
पुलिस ने एसओपी का पालन नहीं किया। एसएसपी सुशील कुमार ने सिटी एसपी को इसकी जांच के निर्देश दिए हैं। इधर कानून के जानकारों का कहना है कि इससे तस्करों को लाभ मिलेगा। जमानत से सजा मिलने तक इसे
हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगे। एफआईआर में बताया गया है कि तस्करों को अहले सुबह 03.20 बजे चंद्रलोक चौक पर पकड़ा गया था। पुलिसकर्मियों ने वहीं उनकी तलाशी नहीं ली। तस्करों को वहां से दो
किमी. दूर थाने ले जाकर उनके सामान की तलाशी ली गई। एफआईआर ब्राउन शुगर जब्ती के 17.10 घंटे बाद रात 20.30 बजे दर्ज की गई। एफआईआर में हुई इस चूक पर बाद में इस ध्यान जाने पर थानेदार ने कोर्ट में
भूल सुधार के लिए शुद्धि पत्र दिया। इसमें कहा गया है कि रात 20:30 बजे को सुबह 8:30 बजे पढ़ा जाए। इसके बावजूद सवाल उठ रहा है कि जब तलाशी थाने में ही हुई तो ब्राउन शुगर जब्ती की एफआईआर दर्ज
करने में पांच घंटे से अधिक समय क्यों लग गए ये भी पढ़ें:मुजफ्फरपुर रेप-मर्डर पर बोले राज्यपाल, दुष्कर्म पर राजनीति न हो एसएसपी ने सिटी एसपी विश्वजीत दयाल को यह जांच करने का निर्देश दिया है कि
किन परिस्थितियों में एसओपी का पालन नहीं हुआ। मादक पदार्थ के कानून के जानकार वरीय अधिवक्ता शरद सिन्हा का कहना है कि मामले में पुलिस की इन गलतियों का लाभ आरोपित तस्कर को मिल सकता है। मामले में
संदिग्ध श्रेणी को आधार बनाकर आरोपित पक्ष जमानत की मांग कर सकता है। साथ ही इस मामले में सजा दिला पाना अभियोजन पक्ष के लिए मुश्किल हो सकता है। इतने बड़े मामले में पुलिस की ओर से जब्ती और
एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही सवाल खड़े करती है ये भी पढ़ें:मुजफ्फरपुर रेप केस: FSL जुटा रही सबूत, आरोपी के कपड़े पर मिले खून का मिलान पुलिस ने पूर्वी चंपारण के चिरौया थाना के शितलपट्टी
निवासी जयप्रकाश कुमार, मधुबन थाना के बाड़ापाकड़ निवासी मुकेश कुमार, बक्सर जिले के कृष्णा ब्रह्मपुर के छोटका ढकैच निवासी अंकित कुमार और गयाजी जिले के सोवरी निवासी संतोष कुमार को गिरफ्तार किया
था। चरस के साथ पुलिस ने तीन लाख रुपये से अधिक की जब्ती भी की थी। छठू भारती नाम का आरोपित अब तक फरार है। मामले में पीटीसी मो. नौशाद के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई थी। ये भी पढ़ें:बिहार में
डॉक्टर को बांध कर पीटने के बाद ऐक्शन, 10 पर केस; 3 महिलाएं अरेस्ट बेला थाने से जब्त शराब बेचने के मामले में आईओ बदला बेला थाना से जब्त शराब को बेचने के मामले के आईओ को बदल दिया गया है।
इंस्पेक्टर राम इकबाल प्रसाद की जगह मामले की जांच अब इंस्पेक्टर जजा आलम करेंगे। जजा आलम को शहरी क्षेत्र के केस के अविशेष आपराधिक मामलों में सुपरवीजन के लिए तैनात किया गया है। इस केस के आईओ
रहे तत्कालीन मिठनपुरा थानेदार राम इकबाल प्रसाद का स्थानांतरण मोतीपुर इंस्पेक्टर के रूप में हुआ है। इसके बाद उन्हें बेला थाना शराब कांड की केस फाइल अद्यतन केस डायरी के साथ जजा आलम को सौंपने
का निर्देश दिया गया है। राम इकबाल ने केस का चार्ज सौंप दिया है। मामले में तत्कालीन बेला थानेदार रंजना वर्मा की भूमिका की जांच चल रही है। मामले में जेल भेजे गए धिरनपट्टी के शराब धंधेबाज मो.
शहादत के मोबाइल का सीडीआर निकाला गया है। मिलान किया जा रहा है कि घटना के दिन तत्कालीन थानेदार से आरोपित की कितनी बार बात हुई है। ये भी पढ़ें:जान से खिलवाड़; बड़ी कंपनियों के रैपर में नकली
दवाएं खरीद रहे आप क्या इससे पहले भी आरोपित धंधेबाज तत्कालीन बेला थानेदार के संपर्क में रहा है। इस तरह शराब धंधेबाज से संपर्क कायम रहने का साक्ष्य सामने आएगा। इसके आधार पर मामले में आगे की
जांच निर्भर होगी। बीते 11 मार्च को बेला थाना में जब्त एक ट्रक शराब का नष्ट किया जा रहा था। मैजिस्ट्रेट मुशहरी सीओ और उत्पाद दारोगा चंदन कुमार की मौजूदगी में कार्रवाई चल रही थी। मजदूर शराब के
कार्टन थाना के मालखाना से निकाल कर नष्ट किए जाने वाले स्थल पर ला रहे थे। इस बीच सेटिंग करके 17 पेटी शराब धंधेबाज मो. शहादत ने अपनी कार में रखवाकर निकल गया। इसमें थाना में कार्यरत अवैध मुंशी
सुजीत का भी हाथ था। पुलिस टीम ने छापेमारी कर शहादत के घर पर खड़ी कार और घर के पीछे छिपाई गई शराब जब्त की थी। घटना में थानेदार के बयान पर ही एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, अब खुद थानेदार भी
इस मामले में जांच की जद में हैं।