पशुपालकों के समक्ष चारा देने का संकट, दूध उत्पादन पर पड़ रहा है असर


पशुपालकों के समक्ष चारा देने का संकट, दूध उत्पादन पर पड़ रहा है असर

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कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते मवेशियों के लिए चारा जुटाना पशुपालकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसका असर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बेजुबान पशुओं पर पड़ना शुरू हो गया है।


बिहार,... Abhishek Tiwari हिन्दुस्तान, हजारीबागSun, 19 April 2020 03:03 PM Share Follow Us on __ कोरोना के कारण लगाए गए लॉकडाउन के चलते मवेशियों के लिए चारा जुटाना पशुपालकों के लिए


चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसका असर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बेजुबान पशुओं पर पड़ना शुरू हो गया है। बिहार, बंगाल तथा उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों से पहले की तरह बिचाली, भूसे के ट्रक


झारखंड नहीं आ पा रहे हैं। वही दर्रा, मकई, चोकर चुनी की अधिकांश फैक्ट्रियां उत्तर प्रदेश में है। लॉकडॉउन के कारण इन फैक्ट्रियों में पशु आहार का उत्पादन ठप है। दूसरे राज्यों में कृषि उपज


मंडियों के बंद होने से पशु आहार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कृषि मंडी के बाहर जो चारा मिल भी रहा है, उसके लिए अधिक पैसे वसूल किए जा रहे हैं। थोक विक्रेता पशु आहार ला भी रहे थे, तो उसका दाम  


बढ़ाकर बेच रहे हैं। वहीं, लॉकडाउन के कारण ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालक पशुओं को जंगल की ओर नहीं ले जा रहे हैं। वैसे किसान जो कृषि के साथ पशुपालन और दूध व्यवसाय से जुड़े हैं। उन पर इसका असर


पड़ना शुरू हो गया है। पशुपालक हीरामन गोप ने बताया कि एक दुधारू पशु को प्रतिदिन 20 किलो चारा चाहिए। जो नहीं मिलने से दूध की मात्रा कम होती जा रही है। कोरोना के संक्रमण को लेकर एक नई समस्या भी


आ गई है। कई लोगों ने संक्रमण को लेकर दूध लेना बंद कर दिया है। मार्खम कॉलेज के पास पैकेट बंद दूध विक्रेता नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि वे प्रतिदिन विभिन्न कंपनियों के 100 लीटर से अधिक पैकेट बंद


दूध बेचा करते थे। जब से कोरोना संक्रमण फैलने की बात सामने आई है। लोगों ने पैकेट बंद दूध लेना बंद कर दिया है। इसकी मांग घटकर आधी हो गई है। दुकानदारों को दी गई है हिदायत जिला पशुपालन पदाधिकारी


डॉ ओपी पांडे ने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआती दौर में पशुपालकों के समक्ष चारा देने का संकट आया था। लेकिन डीसी डॉ भुवनेश प्रताप सिंह के निर्देश पर विभाग ने पशुपालकों को राहत देने का जो कदम


उठाया। उससे पशुपालकों को बड़ी राहत मिली है। विभाग के पदाधिकारी प्रतिदिन चार-पांच पशुचारा की दुकानों का निरीक्षण कर रहे हैं। चारा के खुदरा एवं थोक विक्रेताओं को हिदायत दी गई है कि पशुओं का


चारा बाजार में उपलब्ध रहना चाहिए। चारा दुकानदारों के मांग के अनुरूप बिहार-बंगाल से बिचाली व अन्य चारा संबंधी सामग्री लाने के लिए परमिट दिए जा रहे हैं।  हजारीबाग जिले में लगभग 5000 दुधारू पशु


है। दुकानदारों को चारा मंगाने से लेकर आपूर्ति करने पर रजिस्टर मेंटेन करनी पड़ रही है। दुकानदारों के पास सारे रिकॉर्ड रखे जा रहे हैं। जिन पशुपालकों के पास छह दुधारू पशु हैं, उन्हें भी चारा


के लिए परमिट दिया जा रहा है।