भारत को मिलने वाले हैं और s-400, ऑपरेशन सिंदूर में किया था पाकिस्तान का प्लान फ्लॉप
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बाबुश्किन ने इस बात की पुष्टि की कि बाकी दो एस-400 इकाइयों के लिए अनुबंध प्रगति पर है और इनकी आपूर्ति सार्वजनिक रूप से घोषित समयसीमा के अनुरूप 2025-26 तक पूरी होने की उम्मीद है। रूस
2025-2026 तक भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की बाकी इकाइयां देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में रूसी दूतावास के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने सोमवार को यह जानकारी दी। बाबुश्किन ने इस बात पर
प्रकाश डाला कि पहलगाम आतंकवादी हमले और उसके जवाब में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़े सैन्य संघर्ष में एस-400 मिसाइल प्रणाली ने “बेहद प्रभावी ढंग से” काम किया।
बाबुश्किन ने वायु रक्षा और ड्रोन रोधी प्रणालियों के क्षेत्र में भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के संकेत भी दिए। उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, “हमने सुना है कि भारत और पाकिस्तान के
बीच हाल ही में हुए संघर्ष के दौरान एस-400 ने बहुत ही प्रभावी ढंग से काम किया। हमारे बीच सहयोग का एक लंबा इतिहास रहा है। यूरोप और यहां की स्थिति के मद्देनजर, हम महसूस कर रहे हैं कि वायु रक्षा
प्रणाली सामान्य रूप से रक्षा तैयारी में हमारी साझेदारी के सबसे आशाजनक पहलुओं में से एक है।” बाबुश्किन ने इस बात की पुष्टि की कि बाकी दो एस-400 इकाइयों के लिए अनुबंध प्रगति पर है और इनकी
आपूर्ति सार्वजनिक रूप से घोषित समयसीमा के अनुरूप 2025-26 तक पूरी होने की उम्मीद है। भारत ने 2018 में रूस के साथ एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली के पांच स्क्वाड्रन के लिए 5.43 अरब अमेरिकी डॉलर
का सौदा किया था। यह एक अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है, जो लंबी दूरी पर कई हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है। तीन स्क्वाड्रन की आपूर्ति पहले ही की जा चुकी है। रक्षा सहयोग के संभावित
विस्तार को लेकर बाबुश्किन ने आगे बातचीत की इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा, “हम वायु रक्षा प्रणालियों पर वार्ता को आगे बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए इस साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं।”
बाबुश्किन ने मौजूदा वैश्विक सुरक्षा परिवेश में इस तरह के सहयोग के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डाला। ड्रोन के बढ़ते खतरे का जिक्र करते हुए, खास तौर पर भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान उनके व्यापक
इस्तेमाल के मद्देनजर, बाबुश्किन ने ऐसी चुनौतियों का मुकाबला करने में रूस के अनुभव को रेखांकित किया। बाबुश्किन ने कहा, “हम कई वर्षों से इस खतरे का सामना कर रहे हैं और मुझे लगता है कि हमारी
प्रणालियों का लगातार आधुनिकीकरण किया जा रहा है। मुझे लगता है कि यह दोनों पक्षों के साझा हित में होगा कि इस खतरे का मुकाबला कैसे किया जाए और कुछ अन्य सहयोग कायम किए जाएं।” उन्होंने कहा कि
ड्रोन रोधी प्रणालियां पहले से जारी भारत-रूस रक्षा वार्ता में शामिल हैं। बाबुश्किन ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की संभावित भारत यात्रा के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सटीक
तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह किसी भी समय हो सकती है। हम इसके (यात्रा के) इसी महीने होने की उम्मीद कर रहे हैं।”