लंबाई में 2 प्रतिशत हिस्सा और प्रदूषण में 76% का योगदान, दिल्ली में यमुना को लेकर चौंकाने वाले खुलासे
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यमुना नदी की पूरी लंबाई में से मात्र 2 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली से गुजरती है, जो 52 किलोमीटर है। लेकिन, उसकी दुर्दशा में दिल्ली का बहुत बड़ा योगदान है। एक स्टडी में दिल्ली में यमुना को लेकर
चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। यमुना नदी की पूरी लंबाई में से मात्र 2 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली से गुजरती है, जो 52 किलोमीटर है। लेकिन, उसकी दुर्दशा में दिल्ली का बहुत बड़ा योगदान है। एक
स्टडी में दिल्ली में यमुना को लेकर चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। स्टडी में सामने आया है कि यमुना की कुल प्रदूषण क्षमता में दिल्ली का योगदान 76 प्रतिशत है, जबकि इसकी लंबाई में दिल्ली की
हिस्सेदारी मात्र 2 प्रतिशत है। दिल्ली में यमुना 52 किलोमीटर तक बहती है, जिसमें से 22 किलोमीटर का महत्वपूर्ण हिस्सा वजीराबाद से ओखला तक है। यह हिस्सा कई योजनाओं और नीतिगत प्रयासों का केंद्र
बिंदु बन गया है। स्टडी में यह भी कहा गया है कि अनट्रीटेड और आंशिक रूप से ट्रीटेड सीवेज डिस्चार्ज नदी का प्राथमिक प्रदूषक बना हुआ है। स्टडी में यह भी कहा गया है कि शहर में प्रतिदिन 792 मिलियन
गैलन (एमजीडी) सीवेज उत्पन्न होता है। इसमें से केवल 618 एमजीडी का ही ट्रीटमेंट किया जाता है। ट्रीटमेंट किए गए इस पानी का लगभग 30 प्रतिशत अभी भी निर्धारित मानकों को पूरा करने में विफल रहता
है। विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकाशित प्राइमस पार्टनर्स के स्टडी में यह भी कहा गया है कि 500 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियों और 160 गांवों में अभी भी सीवरेज की सुविधा नहीं है। स्टडी में कहा गया है
कि वर्तमान में शहर के 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) डिस्चार्ज मानदंडों को पूरा करने में विफल हैं और कई औद्योगिक क्षेत्रों में खतरनाक अपशिष्टों का उत्सर्जन जारी है। कम वर्षा होने से नदी
के प्रवाह की कमी के कारण यह और भी अधिक बढ़ गया है। बड़े नालों से होने वाले प्रदूषण पर प्रकाश डालते हुए स्टडी में यह भी कहा गया है कि नजफगढ़ और शाहदरा नालों में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर
प्रदेश से कचरा आता है। इन दोनों नालों से नदी में आने वाला कचरा प्रदूषण का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा बनता है। स्टडी में नदी के किनारे रहने वाले समुदायों जैसे मछुआरों और नाविकों की बातें भी शामिल
की गई हैं। इन समुदायों के लोगों ने बताया कि किस तरह प्रदूषण ने उनके दैनिक जीवन को बाधित किया है और जल स्रोतों को दूषित किया है। यमुना की स्थिति को लेकर उनके अंदर गहरा दुख है। इसके बावजूद ये
समुदाय अभी भी नदी के साथ एक मजबूत भावनात्मक बंधन बनाए हुए हैं। इससे पहले भाजपा सरकार ने यमुना की सफाई के लिए कई पहलों की घोषणा की थी। भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 40 नए
विकेन्द्रीकृत एसटीपी बनाने, समग्र सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता को अपग्रेड करने, वास्तविक समय जल गुणवत्ता सेंसर लगाने आदि की योजना बनाई है। नई राज्य सरकार के पहले बजट में जल एवं सीवरेज क्षेत्र के
लिए 9000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बजट में एसटीपी मरम्मत के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।