1947 में धर्म के आधार पर देश का विभाजन दुर्भाग्यपूर्णः राजनाथ सिंह


1947 में धर्म के आधार पर देश का विभाजन दुर्भाग्यपूर्णः राजनाथ सिंह

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Hindi NewsUP NewsPartition of the country on the basis of religion in 1947 is unfortunate says Rajnath Singh रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1947 में धर्म के आधार पर भारत का विभाजन किया


गया था। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर हुए इस विभाजन को मैं दुर्भाग्यपूर्ण मानता हूं। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं सोचता... gunateet प्रमुख संवाददाता, लखनऊSun, 5 Jan 2020 09:35 PM Share


Follow Us on __ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1947 में धर्म के आधार पर भारत का विभाजन किया गया था। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर हुए इस विभाजन को मैं दुर्भाग्यपूर्ण मानता हूं। रक्षा


मंत्री ने कहा कि मैं सोचता हूं कि अच्छा होता कि 1947 में भारत का विभाजन ही न  होता। विभाजन न हुआ होता तो आज गलतफहमी पैदा करने वालों को इसका मौका नहीं मिलता। भारत एक और अखंड रहता। रक्षामंत्री


ने यह बात रविवार को सिंगारनगर आलमबाग में डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव के अस्पताल में आयोजित नागरिकता संशोधन अधिनियम के जागरुकता अभियान में कही। रक्षा मंत्री ने कहा राजनीतिक दल जानबूझकर गलतफहमी


पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत का विभाजन धर्म के आधार पर ना हुआ होता तो आज इस एक्ट को बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़गानिस्तान धर्म राज्य


हैं। इनका अपना धर्म है। जो कि इस्लाम है। भारत राज्य का कोई धर्म नहीं है। ऐसे में जिनका इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है और वह भारतीय मूल के नागरिक हैं, चाहे वह हिंदू हो, सिख हो, ईसाई


हो, पारसी हों, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि जो इस कानून का विरोध कर रहे हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उन्होंने क्यों भारत का बंटवारा कराया। भारत को अखंड क्यों


नहीं रहने दिया। उन्होंने कहा भारत व पाकिस्तान का हमने बंटवारा नहीं किया। बटवारा आपने किया। फिर अब क्यों विरोध कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है एनआरसी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह


ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम में एनआरसी हो रही है। इसका काफी काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इसके संबंध में कोई आदेश निर्देश नहीं जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के


आदेश पर ही कार्रवाई हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं यकीन दिलाना चाहता हूं कि भारत के किसी नागरिक का इसमें उत्पीड़न नहीं होगा। सबको


समान अधिकार मिलता रहेगा।