विश्व प्रतिरक्षा सप्ताह में कलीसियाओं की विश्व परिषद की सहभागिता - वाटिकन न्यूज़


विश्व प्रतिरक्षा सप्ताह में कलीसियाओं की विश्व परिषद की सहभागिता - वाटिकन न्यूज़

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कलीसियाओं की विश्व परिषद ने 24-30 अप्रैल को वार्षिक विश्व प्रतिरक्षा सप्ताह में भाग लेने की योजना की घोषित की है ताकि वैक्सिन लेने की आवश्यकता के प्रति जागरूकता उत्पन्न किया जा सके, खासकर,


महामारी के समय में। उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी वार्षिक विश्व प्रतिरक्षा (इम्यूनैजेशन) सप्ताह 24 से 30 अप्रैल तक आयोजित किया गया है इसके द्वारा कलीसियाओं की विश्व परिषद कोविद -19 सहित


निवारक रोगों के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए अपने सक्रिय समर्थन को तेज करेगा। वैक्सिन हमें निकट लाता है इस अभियान को हर साल अप्रैल महीना में विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा इसके साझेदारों


द्वारा बढ़ावा दिया जाता है ताकि विश्व में जागृति बढ़ाकर एवं प्रतिरक्षा के स्तर को ऊपर उठाकर, लाखों लोगों की जान बचायी जा सके। "वैक्सिन हमें निकट लाता है" विषयवस्तु के द्वारा विश्व


प्रतिरक्षा सप्ताह 2021 लोगों को एक साथ लाने और हर जगह एवं हर किसी के स्वास्थ्य और भलाई में सुधार लाने के लिए टीकाकरण के महत्व को बढ़ावा देने में अधिक से अधिक लोगों को एकजुट होने के लिए


प्रेरित करेगा। सभी बच्चों को नियमित टीके लगवाना सुनिश्चित करना हालांकि, दुनिया कोविड -19 से बचाने के लिए महत्वपूर्ण नए टीकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, किन्तु यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता


है कि नियमित टीकाकरण न छूटे। इस वैश्विक महामारी के दौरान अनेक बच्चों को वैक्सिन प्रदान नहीं किया गया है, उन्हें चेचक और पोलियो जैसे गंभीर बीमारियों के खतरे में छोड़ दिया गया है। टीकाकरण के


विषय में तेजी से गलत सूचनाओं को प्रसारित करना भी इस खतरे को बढ़ाता है। अतः प्रतिरक्षा सप्ताह इस बात पर जोर देगा कि विश्वभर के बच्चों के लिए नियमित वैक्सिन लेना सुनिश्चित किया जाए तथा लोगों


को खासकर, कोविड-19 वैक्सिन की शिक्षा दी जाए। वैक्सिन को बढ़ावा देने हेतु धार्मिक नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका कलीसियाओं की विश्व परिषद के महासचिव प्रोफेसर डॉ. लॉअन सौका ने धार्मिक नेताओं का


आह्वान किया है कि वे अभियान को अपना सक्रिय समर्थन प्रदान करें। उन्होंने कहा है, "हम लोगों को कोविड-19 एवं अन्य घातक बीमारियों से लोगों को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। यह हमारा


कर्तव्य है कि हम अपने स्थानीय कलीसियाओं में उपदेशों से परे, हमें प्रदान की गई शक्ति का प्रयोग करें। टीकों में, विशेषकर वर्तमान परिदृश्य में, जनता के विश्वास को बढ़ाने में धर्मगुरूओं की


महत्वपूर्ण भूमिका है।"