यूक्रेन के रूस पर भीषण हमले के बाद शांति वार्ता, जानें किन बातों को लेकर बनी सहमति


यूक्रेन के रूस पर भीषण हमले के बाद शांति वार्ता, जानें किन बातों को लेकर बनी सहमति

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यूक्रेन ने रूस पर भीषण हमला किया. ड्रोन अटैक के एक दिन बाद दोनों दुश्मन देशों का प्रतिनिधिमंडल तुर्की के इस्तांबुल में मिला.सोमवार को रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता करीब दो घंटे देरी से


शुरू हुई. करीब एक घंटे तक चली इस बातचीत में युद्धविराम या युद्ध समाप्ति को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं हो सका. मगर कुछ मामलों पर सहमति बनी है.  Advertisment इन मामलों पर सहमति बनी यूक्रेन


के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के अनुसार दोनों पक्षों ने तुर्की के जरिए जरूरी दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया. इस दौरान युद्ध बंदियों की अदला-बदली पर चर्चा हुई. इससे पहले 16 मई को बातचीत


में हजार-हजार कैदियों को रीशफल किया गया था.  हमलों के दौरान चर्चा  एक दिन पहले यूक्रेन ने रूस के कम से कम वार एयरबेसों पर बड़े ड्रोन अटैक किए. इसमें करीब 40 से अधिक लडाकू विमान तबाह हो गए.


यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी प्रमुख वासिल मलियुक ने इस हमले को रूस पर करारा प्रहार बताया. वहीं जेलेंस्की ने इसे इतिहास में दर्ज होने वाला शानदार अभियान बताया. इस हमले में रूस को काफी नुकसान हुआ


है. रूस की रणनीतिक बमवर्षक विमानों की एक-तिहाई से ज्यादा क्षमता प्रभावित हुई है. वहीं रूस ने रविवार को यूक्रेन पर 472 ड्रोन दागे.  तुर्की में ऐसा दूसरी बार हुआ इस्तांबुल के ओटोमन काल के


सिरेगन पैलेस में यह बैठक हुई. दोनों देशों के प्रतिनिधि आमने-सामने बैठे. यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने की. वहीं रूसी दल की अगुवाई राष्ट्रपति पुतिन के सलाहकार


व्लादिमीर मेदिन्स्की ने किया. बैठक में तुर्की के विदेश मंत्री हाकानी फिदान भी उपस्थित रहे. इस बैठक में युद्धबंदियों की रिहाई के साथ यूक्रेन ने रूस को उन बच्चों की सूची भी सौंपी जिन्हें जबरन


रूस भेजा गया. इनकी वापसी की मांग हो रही है.  क्या रूस से बात को तैयार यूक्रेन  यूक्रेन का मानना है कि उसके हालिया सटीक हमलों ने रूस को चर्चा की मेज पर आने के लिए मजबूर किया है. जेलेंस्की के


अनुसार, रूस को अपनी क्षति का एहसास होना चाहिए, यहीं उसे कूटनीति की ओर धकेलेगा. हालांकि, अमेरिका में मौजूद थिंक टैंक इंस्टिट्यूट फॉर द स्टडी आफ वॉर के अनुसार रूस बातचीत को लंबा खींचना चाहता


है. इस तरह वह युद्धक्षेत्र में बढ़त बनाना चाहता है.