कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष को सन्त पापा फ्राँसिस का पत्र
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वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने कॉन्सटेनटीनोपल के एकतावद्धर्क प्राधिधर्माध्यक्ष एवं महाधर्माध्यक्ष बारथोलोम की नियुक्ति की 30वीं वर्षगाँठ पर
बधाईयाँ अर्पित करते हुए प्राधिधर्माध्यक्ष के नाम शुक्रवार को एक पत्र प्रेषित किया।
"जो है, और जो था और जो आने वाला है, उसकी ओर से आपको अनुग्रह और शान्ति", बाईबिल के प्रकाशना ग्रन्थ के इन शब्दों से सन्त पापा फ्राँसिस ने अपना बधाई सन्देश आरम्भ कर कहा कि प्राधिधर्माध्यक्ष
बारथोलोम की नियुक्ति की 30वीं वर्षगाँठ पर वे उनके प्रति हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं। सन्त पापा ने लिखा, "मैं विगत वर्षों में आपके जीवन और मिशन को प्रदान की गई कई आशीषों के लिए प्रभु
को धन्यवाद देने में आपका साथ देता हूं, और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर, जो सभी वरदानों का स्रोत हैं, आपको अच्छा स्वास्थ्य, आध्यात्मिक आनंद और प्रचुर अनुग्रह प्रदान करें ताकि आपके नेक
सेवाकार्य के हर पहलू को बनाए रखा जा सके।"
सन्त पापा ने प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ उनके अपने घनिष्ठ सम्बन्ध पर चिन्तन किया तथा कहा कि इन्हीं सम्बन्धों की वजह से उनके और प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम के बीच रोम में ही नहीं अपितु, फन्नार,
येरूसालेम, असीसी, मिस्र के काहिरा, लेस्बोस तथा बारी और बुद्दापेस्ट में मुलाकातें सम्भव हुई हैं।
वर्तमानकालीन विश्व व्यापी संकट के मद्देनज़र सन्त पापा ने कहा कि सम्पूर्ण मानवजाति के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये काथलिक कलीसिया तथा कुस्तुनतुनिया की कलीसिया की सामान्य
प्रेरितिक ज़िम्मेदारी है, जिसके निर्वाह के लिये आपसी सहयोग अति अनिवार्य है।
पत्र में सन्त पापा फ्राँसिस ने प्राधिधर्माध्यक्ष बारथोलोम से कहा, "विशेष रूप से, मैं आपको सृष्टि की सुरक्षा के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और इस मुद्दे पर आपके चिंतन के लिए आपकी सराहना करता हूँ।
उन्होंने लिखा, "महामारी के प्रकोप और आने वाले गंभीर स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक नतीजों के साथ, मानवता के आध्यात्मिक रूपांतरण की आवश्यकता पर आपके साक्ष्य और शिक्षण ने स्थायी प्रासंगिकता
हासिल कर ली है।"
इसके अतिरिक्त, उन्होंने लिखा, "मैं निष्ठापूर्वक आपको येसु मसीह के अनुयायियों के बीच मेल-मिलाप एवं पूर्ण एकता की स्थापना हेतु संवाद, उदारता तथा सच्चाई का रास्ता इंगित करने के लिये हार्दिक
धन्यवाद देता हूं। ईश्वर की मदद से, हम इस रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे क्योंकि सार्वभौमिक भ्रातृत्व एवं सामाजिक न्याय की स्थापना के लिये दोनों कलीसियाओं के बीच सामीप्य एवं एकात्मता का होना
नितान्त आवश्यक है।"
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